श्री नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनने तक का सफर काफी लंबा है लेकिन आपको बता दें कि उनके मुख्यमंत्री बनने का सफर काफी छोटा रहा था वह संघ के प्रचारक थे और साल 2001 में उन्होंने मुख्यमंत्री की पद की शपथ ले ली थी
मुख्यमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने नाही कोई तजुर्बा था और न ही इससे पहले भी कोई विधायक या सांसद रह चुके थे. जिसके चलते नरेंद्र मोदी किस चीज से वाकिफ नहीं थे कि मुख्यमंत्री को किस तरीके से और क्या काम करना होता है.
नरेंद्र मोदी खुद बताते हैं कि जब वे पहली बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद कैबिनेट की बैठक करनी थी और फाइलों पर साइन करने के लिए जब उनके पास आई तो उन्हें समझने के लिए जिस अफसर ने उनकी मदद करी वह प्रमोद कुमार मिश्रा थे.
आपको बता दें कि प्रमोद कुमार मिश्रा मूल्य तो उड़ीसा से आते हैं लेकिन गुजरात काडर के आईपीएस है और 1972 के बैच के वह अवसर आपको बता दें कि पीके मिश्रा गुजरात में ही काफी समय तक काम किया सचिवालय में काम किया
और गुजरात में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री से पहले मुख्यमंत्री रहे थे पीके मिश्रा ने ही उन्हें सब कुछ समझाया किस तरीके से फाइलों को पढ़ा जाता है और किस तरीके से फाइलों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.
वही आपको बता दे पी के मिश्रा जब सरकारी नौकरी से रिटायर हुए तो नरेंद्र मोदी ने उन्हें गुजरात में इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का कमीशन बनाया और यूपी के मिश्रा ही थे
जिन्होंने गुजरात के गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. इसके बाद जो प्रधानमंत्री 2014 में दिल्ली पहुंचे तो नरेंद्र मोदी के साथ साथी के मिश्रा भी दिल्ली आए थे और आपको बता दें कि 2019 में भी अब पीके मिश्रा नरेंद्र मोदी के साथ बने हुए हैं.
नरेंद्र मोदी को करीब से देखने वाले कई लोग बताते हैं कि एकमात्र पीके मिश्रा ही ऐसे अवसर हैं जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं और आज भी वह नरेंद्र मोदी के सबसे खास लोगों में से हैं.
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